CASTEISM IN INQUIRY PROCEEDING A REAL EXPERIENCE ---
NATURAL JUSTICE SAYS ONLY A NEUTRAL PERSON SHOULD BE AN INQUIRY OFFICER BUT IF BEHIND THE BACK IF AN INQUIRY OFFICER SAYS TO PRESENTING OFFICER THAT HE HAS TO PROVE CHARGES SO DON’T CALL WITNESS OF THOSE VILLAGERS WHO ARE SAID TO TAKE SIDE OF CSO ,NOW QUESTION ARISE HOW SUCH PERSON WILL MAINTAIN NATURAL JUSTICE DURING COURSE OF INQUIRY ?THIS MAN IS STILL ACTIVE ON FACE BOOK & POURS HIS THOUGHTS ONLY AGAINST BRAHMINS?? WHAT A SHAME A QUALIFIED MAN COULD NOT RISE ABOVE CASTE FEELINGS ?
जैसे ही जांच अधिकारी को पता चला की बेंक प्रबंधन द्वारा लाये गए 12 गवाह आरोपी अधिकारी के पक्ष में गवाही देने वाले है ,जांच अधिकारी ने मेरे पीठ के पीछे प्रस्तुतकार अधिकारी से कहा इनकी गवाही मत होने दो नहीं तो आरोप सिद्ध करना मुश्किल हो जाएगा ,जांच अधिकारी सामान्यत: प्रबंधन के पक्ष में झुके रहते है लेकिन मेरे सेवाकाल में ऐसा काले हृदय का जांच अधिकारी फिर कभी नहीं मिला
दुर्ग के पास एक शाखा में मै बचाव की भूमिका में था , आरोपी अधिकारी से विद्वेष रखनेवाले एक मैनजर ने आरोपी के विरुद्ध झूठा गवाही दिलवाने के लिए एक गाँव के 12 गवाहियों को 150-200 रु देकर गवाह बनाया था जो की जांच कार्यस्थल के बाहर खड़े थे , मैंने सिर्फ उत्सुकता में जांच अधिकारी से कहा कि मै 5 मिनट बाहर से आ रहा हूँ यह कहकर बाहर निकल गया ,बाहर देखा तो वे सारे गवाह मेरे बहुत परिचित थे ,मुझे देखते ही वे मेरे पास आ गए ,मैंने पूछा कैसे आये हो ? उन्होंने कहा अभी का मैनेजर ने कहा है सिर्फ ये कहना है की आरोपी अधिकारी ने श्री ---- के खेत में कोई ट्यूबवेल नहीं बनवाया है और आरोपी अधिकारी भ्रष्ट है ,सिर्फ इतना बोलने के लिए हम सभी को 150-200 रु उन्होंने दिया है , मैंने उन्हें बताया इस केस में उस आरोपी का आपके शब्दों में वकील हूँ ,तत्काल उन्होंने पूछा अब हमें क्या गवाही देना है ------- मैंने कहा सिर्फ सच बोलो किसी को झूठे मत फसावों .
प्रबंधन के पक्ष में गवाहों को जिस मैनेजर ने गवाह स्थल में लाया था उसने मेरे और 12 गवाहों के वार्तालाप को सुन लिया था वह फिर वह जांच स्थल में चले गया ,तत्काल मै उसके पीछे जांच स्थल में गया लेकिन जांच अधिकारी के सामने न बैठकर पीछे बाथरूम में जाने के लिए उठा ,बाथरूम के अन्दर प्रवेश के पहिले मैंने “जांच अधिकारी को प्रस्तुतकार से कहते सूना आप उन 12 गवाहों की गवाही मत कराओ वे सब के सब आरोपी के पक्ष में बोलनेवाले हैं ,मेरे लिए भी आरोप प्रूव करना मुश्किल हो जाएगा” मुझे जांच अधिकारी की हरकत बहुत ही आपत्तिजनक लगी लेकिन अब मेरे लिए प्रबंधन के गवाह बहुत महत्वपूर्ण हो गए थे
जांच कार्यवाही के शुरू होते ही प्रस्तुतकार अधिकारी , शाम 6 का समय हो जाने इसलिए गवाह अन्य दिन प्रस्तुत का कथन किया, मैंने जांच अधिकारी से साफ़ कहा ,आरोप पक्ष तैयार है फिर जांच स्थगन की क्या मजबूरी है , मेरी तैयारी पूरी है ,मै तो उन्हें आज ही प्रतीपरीक्षण करूंगा , मेरी जिद्द के आगे जांच कार्यवाही फिर शुरू करनी पडी -----------
सारे बेंक के 12 गवाहों ने बेंक प्रबंधन की इच्छा के विरुद्ध कहा की आरोपी अधिकारी ने श्री ---- के खेत में नया ट्यूबवेल बनवाया है हम लोगों ने स्वयम उसके खेत में देखे हैं और आरोपी अधिकारी को किसी भी कर्जदार से पैसे लेते हम लोगों ने नहीं देखा न सूना है ,हम लोगों को अभी वाले मैनेजर ने झूठ बोलने के लिए 150-200 रु दिया है ,
मित्रो उन किसानो के प्रतीपरीक्षण की मुझे कोई जरुरत नहीं पडी ,क्योकि जांच अधिकारी का चेहरा देखने लायक था .
गाहे बगाहे उस जांच अधिकारी के विचार मुझे फेस बुक में पढने को मिलते रहते है शुद्ध ब्राह्मण विरोध और हर गलत बातों को उस जाति से जोड़ना उसका काम रह गया है ,कभी कभी लगता है कि जब भी बेंक ने उसे जांच अधिकारी बनने का मौक़ा दिया तो उसने जांच कार्यवाही भी उसी जाति भावना से तो नहीं संचालित किया था ? शायद बचपन में इस अधिकारी ने स्व मुंशी प्रेमचंद की पंच परमेश्वर कहानी नहीं पढी होगी .